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Friday, 19 August 2022

मन मोर झूमे रे / नवनीत चंद्रवंशी

मन मोर झूमे रे, तन मोर नाचे रे । 
मन मोर होगे मगन, हाय रे
संग तोर लागे हे लगन ।। 
(संगे संग झुमथे गगन)

मन मोर होथे तोला, बइहाँ म झुलातेंव मैंय ।
नानकुन लइका असन, गोदी म सुलातेंव मैंय ।।
तैंय मोर मया हावस, मैंहा तोर मयारू अंव,
तैंय मोर मन के देवी, मैंहा तोर पुजारी अंव ।।

जिनगी म आजा रे, मन म समाजा रे । 
बनके मोर सनम... हाय रे...
संग तोर लागे हे लगन । 
(संगे संग झुमथे गगन)

सपना म देखेंव तोला, दिन म अऊ राती म,
नदिया के तीर गोरी, आबे तैंय संझाती न ।
जादू भरे हे तोर,मृगनयनी आँखी म,
उड़ जाबो हम दुनो, लगा के पाँखी न ।।
मोर तीर आना रे, सिरतों बताना रे । 
मन तोरो हावे का मगन... हाय रे...
संग तोर लागे हे लगन....
(संगे संग झुमथे गगन)

मन मोर झूमे रे, तन मोर नाचे रे । 
मन मोर होगे मगन, हाय रे
संग तोर लागे हे लगन ।। 
(संगे संग झुमथे गगन)

_ नवनीत चन्द्रवंशी 'नव'

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