नहीं पता किस से नाराज़ हूँ ।
ज़िंदगी बेज़ान लगने लगी है,
आवाज़ नहीं, वो टूटा साज़ हूँ ।
ना जाने क्यूँ उदास हूँ...!!
ज़िन्दगी आज़माती है,
तो सीखाती भी है ।
उठाती है, तो गिराती भी है ।
गिरा तो मैं भी इन राहों में,
इनसे कहाँ आज़ाद हूँ ।
ना जाने क्यूँ उदास हूँ...!!
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