कुछ न कुछ ज़रूर बन जाता है !!
मैं हर एक बात पे कोई बात लिखना नहीं चाहता ।
चाहत बस इतनी-सी है कि बातों ही बातों में,
मैं अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकूँ ।
इतना तो अच्छे से
समझ आ गया है मुझे,
अग़र मैं...उससे बहुत कम हूँ,
तो उसकी नज़रों में मैं कुछ भी नहीं ।
अग़र मैं...उससे बहुत ज्यादा हूँ,
तो उसकी नज़रों में
मेरी इज़्ज़त बढ़ जाती है ।
😎
"शराफ़त का फायदा
लगभग सब ने उठाया है मेरी ।
जिस दिन मैं बदमाशी करने में आ गया ना..,
समझो उस दिन से
बदमाशों का बादशाह बन गया ।"
मेरे लिए ये बात मायने नहीं रखती...
कि मैं दूसरों की नज़र में कैसा हूँ... ??
बात...ये मायने रखती है...
कि मैं, अपनी नज़र में कैसा हूँ !!
बातें भली ही छोटी हों,
लेकिन उसके पीछे की सोंच... बड़ी होनी चाहिए ।
समझदार बनो -
सिर्फ समझने के लिए नहीं...
समझाने के लिए भी !
सिर्फ उसकी सूरत से ही नही....
सीरत से भी होती है !
गलती मोर निकल जाये, अइसन मैंय करंव नहीं ।
गलती जब नई हे मोर, तो कखरो बाप ले डरंव नहीं ।।
खामोशियाँ...
अक्सर ही कुछ कहती हैं !
मेरे अतीत ने मुझे सिखाया
कि मुझे
कैसी बातें करनी हैं...
अपनों से, दूसरों से,
और ख़ुद से ।
कुछ लोगों की खामोशी,
अक़्सर ही कुछ बोल जाती हैं !
"नज़र बदलने की ज़रूरत नहीं है...
सिर्फ़ नज़रिया बदलो यारों !!"
- नवनीत चंद्रवंशी
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