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Saturday, 20 August 2022

सोंच _ एक विचार - नवनीत चंद्रवंशी

मैं उसके बारे में सोंच के खुश हो जाता हूँ...
कि वो 'मेरे बारे में सोंचती है' !!
😍😜😎
रसगुल्ले की तरह,
बहुत मीठी होती हैं ।
कुछ अच्छी, कुछ सच्ची,
कुछ झूठी होती हैं ।
मग़र क्या करें...?
"हम भी होते हैं तुम्हारे,
और बातें भी तुम्हारी ।"

मैं हर एक बात पे कोई बात लिखना नहीं चाहता ।
 चाहत बस इतनी-सी है कि बातों ही बातों में,
मैं अपनी बात लोगों तक पहुंचा सकूँ ।

काश ! तू मेरी होती....
ख़ुदा से बस एक ही गुज़ारिश है !
चाहे सावन की हो, या मेरी आँखों की,
... बस तू ही मेरी बारिश है !!

मैंय गवईया तोर गीत के गोरी,
तैंय तो बसे हा संगीत रे ।
तोरे ले हावे हार-जीत रे संगी, 
तहीं तो हावस मोर मीत रे ।।
🌺😍🌺
"तोर बर कखरो गोड़ टोर देहूं,
तोर बर कखरो मुड़ी फोर देहूं ।
तैंय मोला कूकरी साग माँगबे न,
त मैंय तोला अबगा झोर देहूं ।।"
😜😜😜

प्यार की राहें कुछ इस तरह थीं हमारी
साथ चले तो थे, पर रस्ते अलग हो गये ।
और शायद मंज़िल भी एक थी हमारी
रस्तों के साथ दिल फिर से जुड़ गये ।।

क़ाश मुझे खुश होना आ जाये, 
चैन की नींद सोना आ जाये !
खुशियाँ ही खुशियाँ बटोरता फिरूँ मैं,
और दु:खों को खोना आ जाये !!

तेरे संग दुनिया बसाने की सोंची है मैंने,
तुझे ज़िन्दगी अपनी, बनाने की सोंची है मैंने ।
नन्हे, चहकते, महकते, फूल खिले बगिया में,
ऐसी प्यारी बगिया, सजाने की सोंची है मैंने ।।

आओ ना मेरे साथ, साथ चलें, 
थोड़ी ही सही, कुछ बात तो करें ।
शायद फिर कभी मिलना हो, ना हो, 
छोटी ही सही, एक मुलाकात तो करें ।।

तू इतनी खूबसूरत है, 
कि मैं बता नहीं सकता ।
और तुझसे प्यार मुझे इतना है,
कि मैं जता नहीं सकता ।।

ज़िंदगी बन गयी हो तुम मेरी, 
और मैं अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं कर सकता ।

तुम्हें पाकर , कुछ लगा है ऐसे,
जैसे मुझे, मेरी ज़िंदगी मिल गयी ।

चाहत है मेरी, तुझे दिल मे बसाने की,
फिर परवाह नहीं मुझे, दुश्मन ज़माने की ।
होगी कोशिश मेरी, तेरे मन मे समाने की,
बन जाऊँ मैं तेरा, तुझे अपना बनाने की ।।


"आज मैंने तुझे अपने दिल में ढूँढा...
तुम नहीं मिली ।
फिर मैंने सोंचा... 
कहीं तुम मेरा दिल छोड़कर... 
किसी और के दिल में तो नहीं बस गयी ?"

किसी ने मेरा दिल तोड़ा... तो किसी ने मेरा दिल जोड़ा ।
अब खुद तोड़ना चाहता हूँ... तो कमबख़्त टूटता ही नहीं ।।
😜
वो तो हमें अपने दिल का किरायेदार ही समझते थे...
खामखाह हम ही उसे अपना मकान समझ बैठे !!

पर मेरे पास...
कोई शायरी ना थी ।
फिर...
तुम आयी मेरी जिंदगी में..!!
😍

एक झलक काफी है
सनम 
तेरे दीदार के !
प्यार भरा मौसम,
आया हो जैसे
बहार के !!

मोर दिल बेकरार हे तोर बर,
नई जानव मैंय...
कतका प्यार हे तोला मोर बर ?
मैंय तो बस अतके जानव,
कि तैंय बने हस मोर बर...
अऊ मैंय बने हंव तोर बर !!

"तैंय मोला भुला दे हावस,
मैंय तोला भुलाये के जतन करथंव ।
तोर इही चक्कर मे रे टूरी, 
ना मैंय जीयत हंव ना मरत हंव ।।"
😜😍😎

"मन मोर कहिथे मोला,
तोला हिरदे मा बसालंव ।
मांग म सेंदूर सजाके, 
अपन जिनगी बनालंव ।।

💞❣️💞

आके बईठ न मोर तीर, 
कुछु बताना हे तोला ।
मन के बात कहि हंव,
झन दुरिहा न मोला ।।

होती नहीं है !
समझनी पड़ती है 
कि दर्द की दवा है ।
जैसे मेरे 
दर्द-ए-दिल की दवा 
तुम हो !
😜😍😜
मया के बरसा अइसे बरसा दे,
के भींग जाये मन मोर ।
मंजूर जइसन नाचत रहय,
होके पिरीत म सराबोर ।।

अक्सर अकेले बैठकर
सोंचता हूँ मैं ...
कि तुम बिन ये ज़िन्दगी...
कितनी अधूरी और तन्हा थी !

अब तक ज़िन्दगी को पलट के नहीं देखा था मैंने कभी,
पता नहीं कैसे ? ज़िन्दगी ने मेरी ओर फिर से रुख़ कर लिया !

- नवनीत चंद्रवंशी 

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