अषाढ़ आगे
अब अषाढ़ आगे
मेचका मन सबो नरियाथे
जेला सुन करिया बादर आथे
झमाझम पानी बरसाथे
पुरवाही आथे कभू पानी लेके आथे तूफान
बेरा-बदरी मा लुकागे रतिहा लागे दिनमान
धरती सबो हरिया जाही
प्राणी मन के प्यास बुझाही
हवा मा बतरकिरी उड़ाही
सांप बिछी मन मज़ा पाही
गिरे किरा ला मन भर खाही
नदिया-नरवा डबरा-डबरी अब बदहीं मितान
बेरा-बदरी मा लुकागे ------------
खोल-गली मा धार बोहागे
चिखला खेलत लईका मन सनागे
धार छेंकके अपन बर बांध बनाही
बर-पीपर पान के नानकुन पुलिया लगाही
सरी अंग मा चिखला लगे हे नई आवथे पहिचान
बेरा-बदरी मा लुकागे ------------
नंगरिहा नांगर जोतत गीत गावय
बासी धरके गोसानिन खेत जावय
झऊहाँ-रापा संग मा लेगय अऊ लोटा मा पानी
सास-बहू ननन्द-भऊजी देरानी अऊ जेठानी
कमावत हे संगे-संग मा मगन हावे सबो किसान
बेरा-बदरी मा लुकागे ------------
संझाती बेरा मेछर्रा किरा उड़ियाथे
हाथ-गोड़ कभू मुह मा चले जाथे
थोकिन पानी गिरिस तो गाँव मा बिजली गोल
अंधियार होगे घर-दुआर गाँव-गली अऊ खोल
शहर मा बिजली सब दिन रइथे गाँव मा होगे अंधियार
कोन बताही ई बात ला ये सरकार की भगवान
बेरा-बदरी मा लुकागे ------------
© छेदूराम चन्द्रवंशी
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