अपन किसानी
चलो रे संगी जाबो रे
चलो रे भईया जाबो रे
खेत-खार ला डंटके कमावन
जिनगी भर सुख पाबो रे
खेत-खार बईला-भईंसा संग
कर लेवन चलो मितानी
इही हमर हे सबो के देवता
इही हमर जिनगानी
पसीना पियाबो धरती ला संगी
तभे तो सोना पाबो रे
अषाढ़ महिना रिमझिम पानी
बने देखव खेती-खार गा
सावन पानी धरके आही
बांधव मेढ़-पार गा
नान-नान डोली मा धान के थरहा
चलो मिलजुल जगाबो रे
भादो-कुवांर महिना हमर
निंदई-कोड़ई मा बीत जाही
कातिक-अगहन सोन के दाना
लछमी दाई आही
पूस-माँघ मा धान मिंजाई
मड़ई-मेला मनाबो रे
अईसन सुख ला छोड़के
नई मानन कखरो भड़कानी
छत्तीसगढ़ के हम किसनहा
करबोन अपन किसानी
गाँधी बबा के सुंदर सपना
घरो-घर बगराबो रे
© छेदूराम चन्द्रवंशी
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